गेंहू भारतवर्ष मे सदियों से होती आ रही है पहले ऋषि कृषि मे धरती हमेशा उपजाऊ रहती थी। लेकिन रसायनिक खादों के ज्यादा प्रयोग के कारण जमीन के उपजाऊपन मे कमी आई है। जिस की वजय से गेंहू मे किसान को कुछ बातों का ध्यान रखने की विशेष जरूरत है ताकि किसान की गेंहू की बम्पर पैदावार हो। आइये जानते हैं किन बातों का ध्यान रखकर हम सब किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं।
सही बीज का चुनाव
सबसे पहले किसान को अपने क्षेत्र के अनुसार सही बीज का चयन करना चाहिए जो की वंहा के जलवायु के अनुकूल हो। आपकी सुविधा के लिए मैं आपको भारत मे ऊंची पैदावार वाले बीज की किस्में बता रहा हूँ।
गेंहू की मुख्य किस्में
क्रम संख्या | किस्म | पकने का समय | उत्पादन प्रति एकड़ | |
1 | HD 2967 | 140-150 | 55-62 मण | |
2 | HD 2851 (LATE VARIETY) | 80-90 | 58-65 मण | |
3 | MACS 2496 | 110-115 | 75-82 मण | |
4 | MALVIKA | 120-125 | 62-75 मण | |
5 | HD 2189 | 110-115 | 75-85 मण | |
6 | SONALIKA | 95-100 | 65-82 मण | |
7 | AKW 381 | 90-95 | 65-84 मण | |
8 | HD 2501 | 100-105 | 62-82 मण | |
9 | 5 purna | 110-115 | 75-87 मण | |
10 | HD 2380 | 105-110 | 75-80 मण | |
11 | PBW 502 | 135-145 | 55-60 मण | |
12 | WH 1105 | 145-155 | 26-66 मण | |
LATEST FAMOUS VARIETY | ||||
Karan Vandana (DBW187)-NEPZ | 120-125 | 75-90 मण |
करन वंदना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के करनाल द्वारा तैयार नयी किस्म है जो कि वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक की सब से ज्यादा उपज देने वाली किस्म बताई जा रही है। लेकिन किसान के खेत से रिपोर्ट आने के बाद ही यह सफल मानी जाएगी।
गेंहू के बीज की मात्रा
गेंहू के बीज मे सामान्यता 40 किलोग्राम प्रति एकड़ पड़ता है। लेकिन इस के लिए जरूरी है की बीज की गुणवत्ता अच्छी हो, दाने का आकार सही हो, मिट्टी मे प्रयाप्त नमी हो तथा बुवाई का समय उपयुक्त हो। सब से महतवपूर्ण बीज हमेशा सर्टिफाइड कंपनी का ही खरीदें या फिर खुद का तैयार किया हुआ बीज ही प्रयोग करें।
हम अगर बीज खरीदने मे सक्षम नहीं हैं तो अपने गाँव मे जिस के खेत दूसरी तरफ हैं या दूसरे गाँव वालों के साथ बीज बदल कर भी हम ज्यादा पैदावार ले सकते हैं। अगर आप घर का बीज डाल रहें है तो 45 किलोग्राम ले सकते हैं।
बीज का उपचार
गेंहू के बीज का उपचार जरूर करना चाहिये ताकि बाद मे बीमारी से बचा जा सके। अगर बीज का उपचार नहीं करते तो पकने के समय बाली काली होने लगती है जिसे काली कंगयारी भी कहते है। अगर बुवाई के समय सही से बीज का उपचार कर किया जाए तो हम अपनी फसल को इस बीमारी से बचा सकते हैं।
बीज उपचार की विधि
गेंहू के बीज के उपचार के लिए 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम या ट्राइकोडरमा 7.5 ग्राम प्रति किलोग्राम के साथ पीएसबी कल्चर 6 ग्राम और अजोबैक्टर कल्चर 6 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से लेकर बीज का उपचार करना चाहिये। इसके लिए थोड़ा पानी छिड़क कर बीज को गीला कर लेते हैं तथा उसके बाद उपर्युक्त दवाई को छिड़क कर बीज को दो या तीन बार अच्छे से मिलते हैं ताकि दवाई हर दाने पर चड जाये। फिर इसे 5-7 घंटे नम जूट के बोरे पर छाया मे फैला देना चाहिये। अब आपका बीज खेत मे बोने के लिए तैयार है।
उपयुक्त समय
भारत मे गेंहू के लिए सही समय है नवम्बर के पहले सप्ताह से लेकर दिसम्बर के दुसरे सप्ताह तक। चुनिन्दा लेट वराइटि दिसम्बर के अंतिम सप्ताह मे भी बुवाई की जा सकती हैं जैसे कि (HD 2851)
निराई और गुड़ाई
गेंहू की फसल मे खरपतवार बहुत अधिक मात्रा मे उगते हैं उनके निराकरण के लिए फसल के एक महीने बाद खरपतवार नाशक जैसे कि 2.4 डी , अवाडेक्स या नाइट्रोफ़ेन आदि का स्प्रे द्वारा प्रयोग करना चाहिये। अगर खेत छोटा है और अपने खाने के लिए गेंहू उगा रहे हो तो किसान हाथ से भी निराई गुड़ाई कर सकता है।
गेंहू कि सिंचाई
गेंहू के बीजने के लगभग 17 से 22 दिन बाद पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। क्योकि इतने दिनों मे गेंहू की फूट ज़ोरों पर होती है और इसके सही विकास के लिए नमी की जरूरत होती है। 35 से 40 दिनों के बाद दूसरी सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके अलावा 42 से 47 दिनों बाद तीसरी सिंचाई करनी चाहिए। बाकी आपकी जमीन और जलवायु के हिसाब से फेर बदल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
मेरे किसान भाइयो इन बातों का ध्यान रख कर हम अपनी फसल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं मेरी अगली पोस्ट मे मैं आपको गेंहू की फसल मे खाद व उर्वरक के बारे मे बताऊँगा। एक किसान होने के नाते मैं चाहूँगा कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पंहुचाने मे मेरा सहयोग करेंगे। जय हिन्द।