ये तो हम सब जानते हैं कि गन्ना चीनी का मुख्य स्त्रोत है। वहीं भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। ऐसे में आप समझ ही सकते हैं कि भारत में गन्ने की खेती कितने बड़े स्तर पर की जाती है। गन्ना भारत में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है और नकदी फसल के रूप में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में गन्ने की खेती जहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराती है, वहीं विदेशी मुद्रा लाने में भी इसका बड़ा योगदान है।
अगर आप भी गन्ने की उन्नत खेती करना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसे कम क्षेत्र में नई उन्नत तकनीक के जरिए गन्ने का अधिक से अधिक उत्पादन किया जाए।
कैसे करें गन्ने की खेती
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जलवायु और मिट्टी
गन्ने की खेती के लिए गर्म जलवायु बेहतर मानी जाती है। गन्ने की अच्छी उपज के लिए तापमान 26 डिग्री से 32 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच होना चाहिए।
गन्ने की उन्नत खेती सभी प्रकार की जमीन पर की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे बेहतर होती है। गन्ने के खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
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गन्ना बोने का सही समय
गन्ने की बुवाई के लिए शरद ऋतु यानी कि अक्टूम्बर से नवम्वर के बीच का समय सबसे अच्छा माना जा है। इस वक्त गन्ने की बुवाई करने से उसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। वहीं वसंत ऋतु में फरवरी से मार्च के बीच ही गन्ने की बुवाई करनी चाहिए।
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खेती की तैयारी
गन्ने की बुवाई से पहले खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से दो बार आड़ी और खड़ी जुताई करें। इसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के मिट्टी भुरभुरी कर लें। उसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें। रिजर की मदद से 3 फुट की दूरी पर नालियां बना लें। फरवरी- मार्च में की जाने वाली खेती के लिए नालियों की दूरी 2 फुट होनी चाहिए।
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गन्ने की उन्नत किस्म
CoS.687, CoPant.84211, oJ.64, CoLk.8001, Co.1148, CoS.767, CoS.802, CoC.671, CoC.85061, Co.8021, Co.6304, Co.1148, CoJ। 79, CoS.767, Co.740, CoM.7125, Co.7527, CoC.671, Co.740, Co.8014, Co.7804, Co.740, Co.8338, Co.6806, Co.6304, Co.7527, Co.6907, Co.7805, Co.7219, Co.7805, Co.8011
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बीज का चयन और बुवाई
किसी भी चीज की खेती के लिए उसके बीच का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। गन्ने की अच्छी फसल के लिए उन्नत जाति, मोटा, ठोस, शुद्ध और रोग रहित बीज का ही चयन करें। सबसे जरूरी ये है कि गन्ने का बीज 9 से 10 महिने से ज्यादा पुराना ना हो।
आमतौर पर गन्ने की केवल 50-60 प्रतिशत कलिकायें ही अंकुरित होती हैं। इसलिए एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए तीन कलिका वाले 35,000 से 40,000 यानी कि 75 से 80 क्विंटल और दो कलिका वाले 40,000 से 45,000 यानी कि 80 से 85 क्विंटल टुकड़ों की जरुरत होती है। इन टुकड़ों को आंख से आंख या सिरा से सिरा मिलाकर लगाया जाता है। कलिकाओं के ऊपर 2.5 सेमी मिट्टी भी चढ़ाना जरूरी होता है।
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गन्ने की बुवाई
गन्ने की बुवाई आमतौर पर दो विधियों से की जाती है।
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समतल खेत में गन्ना बोना
– इस विधि से गन्ना बोने के लिए किसान भाईयों को 75 से 90 सेमी की दूरी पर देसी हल से 8 से 10 सेमी गहरे कूंड तैयार करनी चाहिए। इसमें दो आखों वाले गन्ने के टूकड़ों की बुवाई सिरे से सिरा मिलाकर करें। इसके बाद पाटा चलाकर 5-7 सेमी. मिट्टी से ढंक देना चाहिए।
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नालियों में गन्ना बोना-
गन्ने की अधिक से अधिक उपज लेने के लिए यह सबसे उत्तम तरीका माना जाता है। इसमें गन्ने की बुवाई नालियों में करने के लिए 75 से 90 सेमी की दूरी पर 20 से 25 सेमी गहरी और 40 सेमी चौड़ी नालियां बनाएं। गन्ने के टुकड़ों को नालियों के बीच 5 से 7 सेमी की गहराई पर बोएं और कलिका के ऊपर 2.5 सेमी मिट्टी डालें।
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खाद और उर्वरक
गन्ने की बुवाई से पहले 10 से 12 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद आप नीचे दिए गए जानकारी के अनुसार खेत में खाद डालें।
गन्ना बुवाई से पहले (प्रति एकड़)- सुपरफास्फेट 150 किलो + 50 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश + 25 किलो यूरिया + 10 किलो रीजेंट
गन्ना बुवाई के 45 दिन बाद- 100 किलो यूरिया दो से तीन बार सिंचाई के समय बांट- बांट कर डालें
गन्ना बुवाई से 80 दिन बाद- 100 किलो यूरिया डालें
गन्ना बुवाई से 120 दिन बाद- बड़ी मिट्टी चढ़ाते समय सुपरफास्फेट 150 किलो + पोटाश 50 किलो + 50 किलो यूरिया का इस्तेमाल करें।
जिंक का इस्तेमाल- 10 किलो जिंक सल्फेट का इस्तेमाल तीन साल में एक बार प्रति एकड़ गन्ना बुवाई के पहले करें।
जैविक खाद- मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बनी रहे इसके लिये एजोटोबैक्टर और 4 किलो पी.एस.बी. का प्रयोग गोबर खाद में मिलाकर दूसरी सिंचाई के समय करें।
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सिंचाई
गन्ने की खेती के लिए गर्म मौसम में 10-10 दिनों के अंतराल और सर्दी के दिनों में 20- 20 दिनों के अंतराल पर खेत की सिंचाई करनी चाहिए।
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निराई/गुड़ाई
गन्ना बोने के लगभग 4 महिने तक खरपतवारों की रोकथाम जरूरी होती है। इसके लिए 3 से 4 बार निराई- गुड़ाई करें। एट्राजीन 2 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में मिलाकर गन्ने के जमाव से पहले, छिड़कने से भी खरपतवार नियंत्रित रहते हैं।
गन्ना न गिरे इसके लिए कतारों के गन्ने की झुंडी को गन्ने की सूखी पत्तियों से बांधना चाहिए।
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गन्ने की कटाई, पिराई और भंडारण
गन्ने की फसल दस से बारह महीने में पककर तैयार हो जाती है। गन्ना पकने पर इसके तने को ठोकने पर धातु जैसी आवाज आती है। गन्ने की कटाई उस समय करनी चाहिए जब रस में सुक्रोज यानी कि चीनी की मात्रा सबसे ज्यादा हो। गन्ने की कटाई जमीन की सतह से की जाती है।
कटाई के 24 घंटे के भीतर ही गन्ने की पिराई कर लें या कारखाना भिजवा दें, क्योकिं काटने के बाद गन्ने के भार में 2 प्रतिशत प्रतिदिन की कमी आ सकती है। अगर गन्ने का भंडारण करना पड़े तो उसे छांव में ढेर बनाकर रखें और हर दिन इस पर पानी का छिड़काव करें।
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उपज और कमाई
गन्ने की खेती के लिए ऊपर बताए गए उन्नत तरीके का इस्तेमाल कर के किसान भाई एक एकड़ खेत में 500 क्विंटल गन्ना पैदा कर सकते हैं। इसे अगर हेक्टेयर में समझा जाए तो 80 से 100 टन प्रति हेक्टेयर तक गन्ने की उपज ले सकते हैं।
वहीं अनुमानित लाभ की बात की जाए तो, अगर किसान भाई अच्छे बीज का इस्तेमाल कर उन्नत तरीके से गन्ने की खेती करें। इस पर एक एकड़ खेत में डेढ़ लाख रुपए के गन्ना की पैदावार हो सकती है। प्रति एकड़ खाद, बीज, पानी इत्यादि चीजों का खर्च करीब 25 हजार रुपए आएगा। अगर गन्ने का मूल्य 275 से 300 रुपए किलो हुआ तो, एक एकड़ खेत में डेढ़ लाख का गन्ना हो सकता है।
निष्कर्ष
इन तरीकों से गन्ने की खेती करने पर किसानों के जीवन में ये मिठास घोलने वाली फसल साबित हो सकती है। गन्ने की खेती से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी पाने के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट भी कर सकते हैं। कृषि से जुड़ी अपनी किसी भी समस्या के हल के लिए भी आप हमें कमेंट कर सकते हैं।