ये मशरूम किसान कमा रहे हैं लाखों रुपए और सरकार से सम्मान

इंसान के इरादे और हौसले अगर बुलंद हों, तो उनके लिए कोई भी काम मुश्किल और नामुमकिन नहीं होता। जी हां, कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है हरियाणा के रहने वाले दो किसानों ने। सिर्फ दसवीं पास किए आज ये दोनों किसान अपने इलाके में मशरूम की खेती कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इनमें से एक किसान ना सिर्फ खुद कमाई कर रहा है, बल्कि दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराने में सक्षम हैं। तो वहीं दूसरे युवा किसान ने मशरूम की खेती के लिए क्रांतिकारी प्रयोग ही कर डाला है।

आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा के कुरुक्षेत्र भोर सैयदां गांव के किसान हरपाल सिंह बाजवा की और पानीपत के गांव सीख निवासी किसान जितेंद्र मलिक की। इन दोनों किसानों में समानता ये है कि आज ये दोनों ही मशरूम की खेती में एक सफल किसान साबित हुए हैं। साथ ही इन दोनों किसानों ने कहीं ये कोई उच्च डिग्री हासिल नहीं की है, बल्कि दोनों ही केवल दसवीं पास हैं।

मशरूम किसान हरपाल सिंह बाजवा की सफलता की कहानी Mashroom kisan Harpal Singh Bajwa ki Safalta ki Kahani

सैयदां गांव के रहने वाले हरपाल सिंह ने साल 1995 में केवल एक प्रयोग के तौर पर मशरूम की खेती की थी, लेकिन उन्होंने इसी मशरूम की खेती से करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया है। मशरूम उत्पादन के व्यापार से एक कदम आगे बढ़ते हुए हरपाल ने मशरूम स्पान मेकिंग करने की लैब भी स्थापित कर ली है, जिससे वोपूरे भारत में मशरूम उत्पादकों को उसका बीज तैयार करके दे रहे हैं। वैज्ञानिक तरीके से स्पॉन मेकिंग के लिए तैयार किए गए लैब से हरपाल हर साल 1500 किलो स्पॉन तैयार कर रहे हैं।

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मशरूम की खेती की शुरुआत Mashroom ki Kheti ki Shuruaat

किसान हरपाल सिंह ने 50 हजार से मशरूम उत्पादन शुरू किया था और आज वो इससे लाखों रुपए कमा रहे हैं।हरपाल ने मशरूम की खेतीकरके न सिर्फ अपने कारोबार को बढ़ाया है, बल्कि लोगों को भी रोजागर मुहैयाकरवाया है। हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि पहले वे परंपरागत खेती करते थे, लेकिन साल 1995 में मात्र 50 हजार रुपए से उन्होंने मशरूम उगाना शुरू किया।

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प्रशिक्षण Training

मशरूम की खेती में मुनाफे को देखते हुए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी ली और अपनी जमीन पर ही मशरूम के लिए कंपोस्ट बनाना शुरू कर दिया। बीज की आवश्यकता बढ़ी तो एक अत्याधुनिक स्पॉन लैब लगाने का मन बनाया और अपने खेत में ही स्पॉन लैब लगा दी। इसके लिए हरियाणा सरकार के बागवानी विभाग ने सब्सिडी दी और बैंक ने लोन दिया। अब वे मशरूम उत्पादन, कंपोस्ट मेकिंग और स्पॉन प्रोडक्शन से लाखों रुपए कमा रहे हैं।

पुरस्कार Prizes

हरपाल सिंह को जिला स्तर के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सम्मानित किया है। इसके साथ-साथ उन्हें 3 बार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन ने भी सम्मानित किया है।

मशरूम किसान जितेंद्र मलिक की सफलता की कहानी Mashroom kisan Jitender Malik Ki safalta ki Kahani

पानीपत के गांव सीख निवासी किसान जितेंद्र मलिक ने मशरुम की खेती में मुलायम नमीयुक्त कम्पोस्ट बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया है। इससे कई मजदूरों का काम ये मशीन अकेले ही कर डालती है। दसवीं पास वॉलीवॉल और बास्केटबॉल के खिलाड़ी जितेंद्र के गांव में ज्यादातर पारंपरिक खेती होती है, लेकिन सिर्फ वही हैं जो साल 1996 से मशरूम की खेती कर रहे हैं। जितेंद्र बताते हैं कि कि पहले कुछ सालों तक तो उन्हें मशरूम की खेती में नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन जब उन्हें अपनी मशीन बनाई तो उससे उन्हें लाखों की कमाई होने लगी।

मशरूम की खेती में किए क्रांतिकारी प्रयोग Mashroom ki Kheti main Krantikari Paryog

जितेंद्र मलिक ने बताया कि उन्होंने अपनी मशीनी तैयारियों के क्रम में सबसे पहले एक जैसे छेद करने वाला एक मोबाइल इलेक्ट्रिक मीटर तैयार किया। इससे 6 से 8 मजदूरों का काम कम हो गया। इसके बाद साल 2006 से 2008 के बीच उन्होंने दो और ऐसी मशीनें बना लीं, जिससे खेती की लागत और ज्यादा सिमट गई। वह खाद बनाने वाली एक मशीन एक महीने में तैयार कर लेते हैं। एक मशीन बेचने पर उनको लगभग तीन लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। विद्युत चालित यह मशीन कम्पोस्ट को अच्छीतरह मिश्रित करने के साथ ही उसमें नमी भी घोल देती है। इस मशीन में दो मोटरें लगी होती हैं।इस मशीन के इस्तेमाल से फसल में गांठ पड़ने अथवा पीले फफूंद रोग की आशंकाशू्न्य हो जाती है। रोग मुक्त रखने के लिए मशीन नमी और फंगस मारने वालेपदार्थ फसल कोखुद ही सप्लाई करती है। इसके लिए जितेंदर मलिक को हिमाचल सरकार ने सम्मानित भी किया है।

निष्कर्ष Conclusion

हरपाल और जितेंद्र इन दोनों किसानों ने मशरूम की खेती करके पूरे उत्तर भारत में नाम कमाया है। मशरूम के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से इसकी खेती भी किसानों में लोकप्रिय होती जा रही है। क्योंकि ये एक ऐसी फसल है, जिसमें आप कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लिए जरुरत है कड़ी मेहनत और उन्नत सोच की, ताकि आप भी हरपाल और जितेंद्र मलिक की तरह एक सफल मशरूम किसान बन सकें। सफल खेती से जुड़ी ऐसी ही कहानियां हम आपके लिए लाते रहेंगे। अगर आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो कमेंट जरूर करें।

 

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About Sanjay Kaushik

मैं संजय कौशिक एक किसान, MBA इन मार्केटिंग, M.A. लोक प्रशासन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर चुका हूँ। ओर मैं पिछले 14 सालों से शिक्षण और प्रशिक्षण के कार्य मे लगा हुआ हूँ। अब मैं डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके आप सभी तक अपनी मातृभाषा में सही खेती के मंत्र पंहुचाने का प्रयास कर रहा हूँ। उम्मीद है कि आप सभी सहयोग करेंगे!
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