अमरूद भारत का बहुत ही लोकप्रिय फल है। ये देश के ज्यादातर हिस्सों में आसानी से पाया जा सकता है। गुणों से भरपुर अमरूद को ‘गरीबों का सेब’ भी कहा जाता है। इसमें विटामिन्स, आयरन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अमरूद को जहां फल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, वहीं इससे जेली, बर्फी और कई तरह की चीजें भी बनाई जाती है। अपने बहुउपयोगिता की वजह से भारत में इसकी काफी डिमांड है। इसकी बागवानी उत्तराखंड से लेकर कन्याकुमारी तक की जाती है। इसलिए देश में उगाए जाने वाले फलों में क्षेत्रफल और उत्पादन के लिहाज से अमरूद अमरुद की खेती को चौथे स्थान पर रखा गया है।
इस लेख में हम आपको अमरूद की खेती से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बताएंगे। ऐसे में अगर आप भी अमरूद की बागवानी करने के इच्छुक हैं, तो हमारा ये लेख पूरा जरूर पढ़े। इससे आपको अमरूद की बागवानी, उसके लिए जलवायु, मिट्टी, सावधानियां हर चीजों की जानकारी मिलेगी।
अमरूद की उन्नत किस्में Amrood ki Unnat Kismen
भारत में अमरूद की अनेक किस्में पाई जाती हैं। थोड़ी बहुत भिन्नता के साथ भारत में इसकी 80-90 किस्में उगाई जाती है। लेकिन व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो अमरूद की करीब 10 उन्नत किस्में ऐसी हैं, जिसे बड़े पैमाने पर उगाया जा रहा है।
- इलाहाबाद सफेदा अर्का मृदुला
- लखनऊ 49 (सरदार अमरूद) अर्का अमूल्या
- चित्तीदार इलाहाबाद सुरखा
- एप्पल कलर ग्वालियर 27
- ललित कोहिर
अमरूद की खेती के लिए उपयुक्त स्थान Amrood ki Kheti ke liye Upyukt Sthan
अमरूद का उत्पादन देशभर में सब से ज्यादा उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में किया जाता है। इसके अलावे महाराष्ट्र, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, तामिलनाडू और पंजाब, हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर की जाती है। पंजाब में 8022 हैक्टेयर के रकबे पर अमरूद की खेती की जाती है और औसतन पैदावार 160463 मैट्रिक टन होती है।
अमरूद की खेती के लिए जलवायु, भूमि और समय Amrood ki Kheti ke liye Jalwayu, Bhoomi aur Samay
अमरूद की खेती गर्म और शुष्क जलवायु में सफलता पूर्वक की जा सकती है, क्योंक ये गर्मी और पाला दोनों सहन कर सकता है। लेकिन अधिक वर्षा वाले इलाके में अमरूद की खेती करना सही नहीं होता है। अमरूद की खेती के लिये 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल माना जाता है|
वैसे तो अमरूद की खेती हर प्रकार के मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी अच्छी उपज के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसकी पैदावार 6.5 से 7.5 पी एच वाली मिट्टी में भी की जा सकती है।
अमरूद की खेती के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे अच्छा होता है। जहां पर सिंचाई की वयवस्था हो वहां फरवरी मार्च में भी अमरूद के बीज आप लगा सकते हैं।
ऐसे करें अमरूद की खेती Aise Kare Amrood ki Kheti
अभिवृद्धि Abhivridi
बीज लगाकर या दाब कलम के द्वारा अमरुद का पौधा तैयार कर सकते हैं। बीज लगाने की बजाये दाब कलम कर अभिवृद्धि करना ज्यादा बेहतर साबित होता है। दाब कलम से हम अमरुद की क्वालिटी, टेस्ट और किस्म आदि को पहले से निश्चित कर सकते हैं।
दाब कलम के लिए अमरुद वृक्ष का चुनाव Dab Kalam ke liye Amrood Vriksh ka Chunav
- विस्तृत, सशक्त डालियाँ, कम ऊंचाई।
- अधिक उत्पादन,उत्तम किस्म।
- बीज कम, गुदा ज्यादा।
- सफ़ेद गुदा, उत्तम स्वाद।
- प्रतिरोधक शक्तियुक्त।
उपरोक्त गुणों से युक्त वृक्ष को चयनित करके उन पर किसी विशेष रंग की पट्टी बांधे और समय आने पर इन्ही पेड़ो की टहनियों का प्रयोग दाब कलम के लिए करें।
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जमीन की जुताई Bhoomi ki Jutai
अमरूद की खेती के लिए सबसे पहले खेत की दो बार तिरछी जुताई करनी चाहिए और फिर इसे समतल करें। खेत को इस तरह तैयार करें कि उसमें पानी ना खड़ा रहे।
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गड्ढा बनाना Gadda Banana
जोताई के बाद पौधे की रोपाई करने के लिए पहले 60 सेंटीमीटर चौड़ी, 60 सेंटीमीटर लंबी और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे को तैयार करें। इसमें आप 20 से 25 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद 250 ग्राम सुपर फास्फेट और 40 से 50 ग्राम मिथाईल पैराथियॉन पाउडर को ऊपरी मिटटी में मिलाकर गड्ढों को भर दें। मिट्टी सतह से 15 सेंटीमीटर उपर तक भरें। इसके बाद मिट्टी पर सिंचाईं करें। गड्ढों में मिट्टी पौधा लगाने के 15 से 20 दिन पहले भर देना चाहिए।
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पौधा लगाना Paudha Lagana
इसके बाद पौधे की पिंडी के अनुसार गड्ढ़े को खोदकर उसके बीचो बीच पौधा लगाकर चारों तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिंचाई कर दें। आपको ये ध्यान रखना होगा कि कम उपजाऊ भूमि में 5 X 5 मीटर और उपजाऊ भूमि में 6.5 X 6.5 मीटर की दूरी पर ही आप पौधे लगाएं। जड़ों को हमेशा 25 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए। अगर पौधे वर्गाकार ढंग से लगाएं हैं तो पौधों का फासला 7 मीटर रखें।
132 पौधे प्रति एकड़ लगाए जाते हैं। वहीं सघन विधि में प्रति हेक्टेयर 500 से 5000 पौधे आप लगा सकते हैं।
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सिंचाई Sinchai
शरद ऋतु में पौधे के सिंचाई 15 दिन के अंतर पर तथा गर्मियों के मौसम में 7 दिन के अंतर पर करते रहना चाहिए। फल देने वाले पौधे से फल लेने के समय को ध्यान में रखकर सिंचाई करनी चाहिए। जैसे बरसात में फसल लेने के लिए गर्मी में सिंचाई की जाती है। जब कि सर्दी में अधिक फल लेने के लिए गर्मी में सिंचाई नहीं करनी चाहिए।
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खाद एवं उर्वरक Khad avm Urvark
रोपाई के बाद भी समय- समय पर अमरूद के पौधे को खाद की जरूरत होती है, इसके लिए हर साल इसकी मात्रा अलग- अलग होती है।
पौधे की उम्र | खाद की मात्रा |
पहले साल | गोबर की खाद 15 किलोग्राम, यूरिया 250 ग्राम, सुपर फास्फेट 375 ग्राम और पोटैशियम सल्फेट 500 ग्राम |
दूसरे साल | गोबर की खाद 30 किलोग्राम, यूरिया 500 ग्राम, सुपर फास्फेट 750 ग्राम व पोटैशियम सल्फेट 200 ग्राम |
तीसरे साल | गोबर की खाद 45 किलोग्राम, यूरिया 750 ग्राम, सुपर फास्फेट 1125 ग्राम व पोटैशियम सल्फेट 300 ग्राम |
चौथे साल | गोबर की खाद 60 किलोग्राम, यूरिया 1050 ग्राम, सुपर फास्फेट 1500 ग्राम व पोटैशियम सल्फेट 400 ग्राम |
पांचवें साल | गोबर की खाद 75 किलोग्राम, यूरिया 1300 ग्राम, सुपर फास्फेट 1875 ग्राम व पोटैशियम सल्फेट 500 ग्राम |
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खरपतवार नियंत्रण Kharpatwar Niyantarn
अमरूद के खेतों में 10 से 15 दिनों के अंतर पर आप थालों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को निकलते रहें। जब पौधे बड़े हो जाएं, तो वर्षा ऋतु में बाग की जुताई करें जिससे खरपतवार नष्ट हो जाएंगें।
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कीट और रोग नियंत्रण Keet aur Rog Niyantarn
अमरूद में कीड़े का रोग बारिश के मौसम में अक्सर हो जाता है। ऐसे में कीटों के प्रकोप से बचने के लिए नीम की पत्तियों के उबले पानी का छिड़काव करना चाहिए।
वहीं अमरूद के प्रमुख रोग उकठा रोग, तना कैंसर आदि हैं। इसके निवारण के लिए रोगी पौधे को तुरंत निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए और कटे भाग पर ग्रीस लगा कर बंद कर देना चाहिए।
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पौधे की छटाई paudhe ki Chhantai
पौधों की मजबूती और सही वृद्धि को बनाए रखने के लिए तने की हल्की छंटाई करनी जरूरी होती है। इसकी कटाई हमेशा नीचे से ऊपर की तरफ करनी चाहिए। इस तरह कटाई के बाद नईं टहनियां अकुंरन में मदद मिलती है।
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फलों की तुड़ाई Falon ki Tudai
पौधा रोपन के 2-3 साल बाद अमरूद के फल लगने शुरू हो जाते हैं। फलों के पूरी तरह पकने के बाद इनकी तुड़ाई करनी चाहिए। पूरी तरह पकने के बाद फलों का रंग हरे से पीला होना शुरू हो जाता है। फलों की तुड़ाई सही समय पर कर लेनी चाहिए। फलों को ज्यादा पकने नहीं देना चाहिए।
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भंडारण Bhandaran
फलों की तोड़ने के बाद उसे साफ करके आकार के आधार पर बांटे और पैक कर लें। अमरूद जल्दी खराब होने वाला फल है। इसलिए इसे तुड़ाई के तुरंत बाद बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए।
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उत्पादन और कमाई Utpadan aur Kamai
अमरूद की खेती कर 500 से 5000 पौधे प्रति हेक्टेयर पर 30 से 50 टन का उत्पादन किया जा सकता है। अमरूद की खेती से लाभ का अनुमान अमरूद के प्रकार पर निर्भर करता है, क्योंकि हर किस्म के अमरूद की कीमत मार्केट में अलग- अलग होती है। लेकिन ये तो तय है कि किसी भी अच्छे किस्म की अमरूद के फलों से साल में लाखों की कमाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
उम्मीद है कि उपर दी गई विधियों को पढ़ने से आपको भी अमरूद की उन्नत खेती करने में काफी मदद मिलेगी। अमरूद की खेती से जुड़ा हमारा ये लेख आपको कैसा लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताएं।