आज के दौर मे किसान की आय का बड़ा हिस्सा खाद की खरीद मे चला जाता है। आज इस पोस्ट मे हम आपको सीखाएंगे खाद बनाने का एक ऐसा तरीका जो आपका उत्पादन 50% बढ़ा देगा। ये खाद यूरिया और नाइट्रोजन से भी ज्यादा उत्पादन देगी। इस से खेत का पीएच मान भी बढ़ेगा। और जमीन पहले से भी अधिक उपजाऊ हो जाएगी।
गत पोस्ट मे आप ने जाना कि जीवामृत कैसे बनाते हैं। लेकिन वो तरल (liquid) होता है इसलिए उसका प्रयोग करने का समय बहुत थोड़ा होता है। हम सात दिन के बाद जीवामृत का प्रयोग नहीं कर पाते। लेकिन घनजीवामृत को हम यूरिया खाद की तरह भंडार कर के रख सकते हैं। घनजीवामृत बनाने के लिए सामग्री
क्रम संख्या | सामग्री | मात्रा |
1 | देशी गाय का गोबर | 100 किलो ग्राम |
2 | गुड | 1 किलो ग्राम |
3 | पुराने पेड़ के नीचे कि मिट्टी | 100 ग्राम |
4 | बेसन (अरहर/चना/मूंग/उड़द) | 2 किलो ग्राम |
5 | गौमूत्र | 250 ग्राम |
ऊपर दिये सभी पदार्थों को अच्छी तरह मिलाकर गूँथ ले जब मिश्रण पूरी तरह मिल जाए तो उसे दो दिन तक ढककर रखें। बीच बीच मे थोड़ा पानी डालते रहें। तीसरे दिन इसको दोबारा से मसलकर मिला लें और लड्डू बना लें।
अब इस घनजीवामृत के लड्डू को आप अपनी फसल जैसे कि कपास, मिर्च, टमाटर, बैंगन, भिंडी, सरसों आदि के साथ जमीन पर रख दें। उसके ऊपर फसलों के अवशेष ढक दें। यदि आप ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करते हैं तो घनजीवामृत रख के आच्छादन पर ड्रिपर से पानी डालें। आप इन घनजीवामृत के लड्डुओं को अपने पेड़-पौधों के पास भी रख सकते हैं। इससे जीवामृत इनकी जड़ो तक पहुंचेगा। ये ध्यान रखना चाहिए कि जमीन मे ज्यादा नमी न हो। सूखा घनजीवामृत इस विधि से तैयार घनजीवामृत को आप छाया मे सुखा लो। सूखने के बाद आप इसे लकड़ी से पीट कर बारीक करें बोरी मे भर कर छाया मे भंडारण कर लें।
इस प्रकार तैयार घनजीवामृत को आप 6 महीने तक अपनी जरूरत अनुसार प्रयोग कर सकते हो।सूखने के बाद घनजीवामृत मे स्थित सूक्ष्म जीव समाधि ले कर कोष धारण करते हैं। जब आप घनजीवामृत को खेत मे डालते हैं वे सूक्ष्म जीव कोष तोड़कर समाधि बंग करके दोबारा अपने कार्य मे लग जाते हैं।
जिसके पास गोबर प्र्याप्त मात्रा मे है वह किसान ज्यादा मात्रा मे घनजीवामृत बनाकर सीमित फसलों मे गोबर खाद मे मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं और रसायनिक खाद पर होने वाले खर्च से बच सकते हैं। इस तरह से हमारे किसान भाई अपनी जमीन की उर्वराशक्ति बढाते हुए ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं।
किसी भी कमजोर जमीन मे भी यदि बुवाई के समय प्रति एकड़ 100 किलो ग्राम छाना हुआ गोबर खाद और 100 किलो ग्राम घनजीवामृत मिलाकर बीज बोया जाए तो बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। मैंने यह प्रयोग प्रत्येक फसल और पौधों मे किया है जिसके परिणाम चमत्कारी रहे हैं। घनजीवामृत के लाभ घनजीवामृत को स्टोर किया जा सकता है। इसको एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना आसान है। इसकी आयु जीवामृत से ज्यादा है।
हम कितने भी पुराने घनजीवामृत को जीवमृत का छिन्टा देकर सक्रिय कर सकते हैं। ये फर्टिलाइज़र्स का सबसे सस्ता एवं अच्छा विकल्प है। इसके प्रयोग से फसल मे बीमारियाँ ना के बराबर रह जाती हैं। और अंतिम इस विधि से किसान की आय कई गुना बढ़ जाएगी।
निष्कर्ष घनजीवामृत हमारे ऋषि कृषि मे प्रमुख स्थान रखता है। इसका प्रयोग करके हमारे किसान को फर्टिलाइज़र्स एवं पेसटीसाइड कंपनियों के मकडजाल से बचाया जा सकता है। हमारे देश का अरबों रुपया जो विदेशो मे जाता है वह भी बचेगा। विदेशी षड्यंत्र को हम सभी मिलकर विफल करेंगे।
अत: आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इस जानकारी को अपने परिचित पाँच किसानों तक पन्हुचाओ, वो आगे केवल 5-5 तक भेजेंगे तो जल्दी ही सभी किसान इसके बारे मे जानेगे और सभी की आय मे वृद्धि होगी। #जयहिंद।