अनार एक ऐसा फल है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है। इसके अंदर कई ऐसे महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं। अनार में भरपूर मात्रा में फाइबर, विटामिन्स, फोलिक एसिड, पोटैशियम इत्यादि मौजूद होते हैं। तभी तो बिमारियों और शरीर में खून की कमी होने पर डॉक्टर्स भी अनार का सेवन करने की सलाह देते हैं।इसलिए अनार की खेती अच्छी आम्दानी का स्रोत बन सकती है।
अनार की सही खेती Anar ki Sahi Kheti
खेती के लिए अनार एक ऐसा विकल्प है,जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अनार की फसल किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है। तो आइए जरा विस्तार से जानते हैं कि आखिर वो कौन- कौन सी चीजें हैं, जिनका ध्यान रख कर आप भी अनार की खेती कर सकते हैं।
भूमि Bhoomi
अनार की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है| लेकिन अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी अनार की खेती के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। आपको बता दें कि अनार के पौधे में लवण और क्षारीयता सहन करने की अद्भुत क्षमता होती हैं| जिसके लिए मृदा का पी एच मान 6.5 से 7.5 अच्छा माना जाता हैं| लेकिन इसको 8.0 पी एच मान वाली भूमि में भी उगाया जा सकता है|
जलवायु Jalwayu
अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है। यह अर्द्ध शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगाया जा सकता है। फलों की वृद्धि और पकने के समय 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त रहता है। 11 डिग्री से कम तापमान पर पौधों की वृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों में मिठास बढ़ती है। इसकी खेती समुद्रतल से 500 मीटर सें अधिक ऊंचे स्थानों पर की जा सकती है।
समय Samay
अनार की खेती के लिए मार्च, फरवरी या अगस्त का महीना सबसे बेहतर होता है। खरीफ के सीजन में अनार के पौधे की रोपाई करते है, तो रोपाई के लगभग 3 या 4 साल बाद पेड़ फल देना शुरू कर देता है। अगस्त के महीने में अनार के पौधे की रोपाई करते है तो इसकी रोपाई के चार साल बाद की पौधा फल देने लगता है।
अनार की किस्में Anar ki kismen
अनार की बहुत सारी किस्में भारत देश में पाई जाती है। लेकिन यहां हम आपको अनार की कुछ उन्नत किस् के नाम यहां बता रहे हैं, जिसकी उपज करने से अच्छी कमाई की जा सकती है।
- भगवा गणेश
- ढोलका जालोर बेदाना
- रूबी मृदुला
- ज्योति पेपर सेल
- अरक्ता कंधारी
अनार का प्रवर्धन Anar ka Prvardhan
अनार की खेती के लिए इसका प्रवर्धन बीज, गूटी, कलम और टिश्यू कल्चर विधियों से किया जाता है।
1. बीज द्वारा:-
भारत में अधिकतर पुराने अनार के बाग बीजू पौधों से लगाए गए हैं। यही वजह है कि पौधो और उनके फलों में काफी भिन्नता पाई जाती है।
2.कलम द्वारा:-
कलम अनार के वानस्पतिक प्रवर्धन की सबसे आसान और व्यवसायिक विधि है। इसमें एक साल पुरानी शाखाओं से 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी कलमें काटकर पौधशाला में लगा दी जाती है।
3. गूटी द्वारा:-
अनार का व्यावसायिक प्रवर्धन गूटी द्वारा ही किया जाता है। अनार के प्रवर्धन की यह विधि कलम से ज्यादा महंगी है, लेकिन बड़े पौधे लेने के लिए यह विधि ज्यादा अच्छी होती है। इस विधि में जुलाई-अगस्त में एक वर्ष पुरानी पेन्सिल समान मोटाई वाली स्वस्थ, ओजस्वी, परिपक्व, 45-60 सेंमी. लम्बाई की शाखा का चयन किया जाता है।
गड्ढा खोदना और Gadda Khodna
अनार की खेती के लिए पौधा रोपण से 1 महीने पहले गड्ढे खोदे जाते हैं। इसके लिए आप 60 सेमी लंबा, 60 सेमी चौड़ा और 60 सेमी गहरे आकार के 5 * 3 मीटर की दूरी पर गड्ढा खोदें। इसे गड्ढे को 15 दिनों के लिए खुला छोड़ दें।
सामग्री Samgri
अब आप गड्ढे की उपरी मिट्टी में 20 किग्रा पकी हुई गोबर की खाद, 1 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट, 0.50 ग्राम क्लोरो पायरीफास चूर्ण मिट्टी में मिलाकर गड्ढों को सतह से 15 सेमी. ऊंचाई तक भर दें। गड्ढे भरने के बाद सिंचाई करें ताकि मिट्टी अच्छी तरह से जम जाए।
दूरी Duri
सामान्यतः 4-5 मीटर की दूरी पर अनार के पौधे का रोपण किया जाता है। सघन रोपण पद्धति में 5 *2 मीटर (1,000 पौधे/हक्टेयर), 5*3 मीटर (666 पौधे/हक्टेयर), 4.5*3 (740 पौधे/हक्टेयर) की आपसी अन्तराल पर रोपण किया जा सकता है।
पौधा रोपण Paudha Ropan
जिसके बाद पौधो का रोपण करें और रोपण के पश्चात तुरन्त सिंचाई करें। पौध रोपण की आपसी दूरी मिट्टी के प्रकार एवं जलवायु पर निर्भर करती है।
सिंचाई Sinchai
अनार सूखी फसल है, लेकिन इसके अच्छे उपज के लिए सिंचाई जरूरी है। अनार की खेती में गर्मियों में 5 से 7 दिन, सर्दियों में 10 से 12 दिन और बारिश में आवश्यकतानुसार अन्तराल पर 20 से 40 लीटर प्रति एक पौधा सिंचाई की आवश्यकता होती है। अनार के लिए बूंद- बंद सिंचाई बेहतर होती है।
पानी की बचत Pani ki Bachat
टपका सिंचाई पद्धति से 30 से 50 प्रतिशत पानी की बचत होती है, साथ ही 30 से 35 प्रतिशत उपज में भी बढ़ोतरी हो जाती है। टपका सिंचाई विधि हो तो एक साल के पौधे को एक दिन के अंतर पर सर्दियों में 10 लीटर और गर्मियों में 15 लीटर पानी दें। पौधे की आयु बढ़ने के साथ पानी की मात्रा में भी बढ़ाते रहें। पांच साल के पौधे को एक दिन के अंतर पर सर्दियों में 50 लीटर और गर्मियों में 75 लीटर पानी दें।
खाद और उर्वरक Khad aur Urvark
अनार की खेती में पेड़ की उम्र के हिसाब से ही खाद दी जाती है।
पौधे की उम्र | खाद की मात्रा |
पहला साल | 10 किलोग्राम गोबर, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस और 100 ग्राम पोटाश |
दूसरा साल | 20 किलोग्राम गोबर, 200 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फॉस्फोरस और 200 ग्राम पोटाश |
तीसरा साल | 30 किलोग्राम गोबर, 300 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फॉस्फोरस और 300 ग्राम पोटाश |
चौथा साल | 40 किलोग्राम गोबर, 400 ग्राम नाइट्रोजन, 200 ग्राम फॉस्फोरस और 400 ग्राम पोटाश |
पांचवा साल | 50 किलोग्राम गोबर, 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 500 ग्राम पोटाश |
इसके आलावे जरुरत पड़ने पर जिंक सल्फेट और अन्य टॉनिक खादों का प्रयोग कर सकते है| पानी में घुलनशील खादों के छिड़काव से पैदावार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
सधाई Sadhai
अनार की खेती में सधाई का बहुत महत्व है। तना पद्धति में एक तने को छोडकर बाकी सभी बाहरी टहनियों को काट दिया जाता है। जिससे पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है। यह पद्धति व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त नही हैं। वहीं बहु तना पद्धति में अनार को इस प्रकार साधा जाता है कि इसमें तीन से चार तने छूटे हों,बाकी टहनियों को काट दिया जाता है। इस तरह साधे हुए तने में प्रकाश अच्छी तरह से पहुंचता है। जिससे फूल व फल अच्छी तरह आते हैं।
खरपतवार एवं कीट, रोग नियंत्रण Kharpatwar evm Keet, Rog Niyantran
अनार की खेती में साल में 2 से 3 बार पौधे के गोलाकार भाग में खुदाई करें और फसल को खरपतवार मुक्त रखें। वहीं अनार की खेती में फ्रूट राट, दैहिक बिकार, फल का चटखाना, पर्ण व फल चित्ती आदि रोग प्रमुख हैं। पर्ण व फल चित्ती यह रोग सर्कोस्पारो तथा ग्लिओस्पोरियम नामक कवक द्वार फैलता हैं। इसमें फल व पत्ती दोनों ही प्रभावित होती हैं। इन सब की रोकथाम के लिये डायथेन एम- 45 या केप्टान 500 ग्राम, 200 लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तराल पर 3 से 4 छिड़काव करना चाहिए।
तुड़ाई Tudai
अनार की खेती की उचित देखभाल और उन्नत प्रबन्धन अपनाने से अनार से चौथे वर्ष में फल लिया जा सकता है। अनार नान-क्लामेट्रिक फल है जब फल पूर्ण रूप से पक जाये तभी पौधे से तोड़ना चाहिए। पौधों में फल सेट होने के बाद 120-130 दिन बाद तुड़ाई के तैयार हो जाते हैं। पके फल पीलापन लिए लाल हो जाते हैं।
उपज और कमाई Upaj aur Kamai
अनार की खेती से उपज किस्म तथा पौधे के रखरखाव पर निर्भर करती है। अनार की खेती में पौधे रोपण के 2-3 वर्ष पश्चात ये फल देना शुरू प्रारम्भ कर देता है। लेकिन व्यावसायिक रूप से उत्पादन रोपण के 4-5 वर्षों बाद ही लेना चाहिए। 200 से 250 प्रति एक पौधे से फल प्राप्त किए जा सकते हैं। एक विकसित पेड़ पर लगभग 70 से 90 फल रखना उपज एवं गुणवत्ता की दृष्टि से ठीक रहता है। एक हेक्टेयर में 650 पौधे लग जाते हैं, इस हिसाब से प्रति एक हेक्टेयर 110 से 150 क्विंटल तक बाजार भेजने योग्य फल मिल जाते हैं। इस हिसाब से एक हेक्टेयर से 7 से 8 लाख रूपये या इससे अधिक भी सालाना आय हो सकती है।
निष्कर्ष Conclusion
भारत ही नहीं विदेशों में भी अनार की बहुत डिमांड है। अनार का फल, छिलके, दाने इन सभी चीजों का इस्तेमाल किसी ना किसी रुप में दवाईयों, व्यंजनों, जूस आदि में किया जाता है इसलिए अनार की खेती हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है। अनार की खेती से जुड़ा ये लेख आपको कैसा लगा, कमेंट कर के जरूर बताएं। खेती से जुड़ी और भी जानकारियां हम आपको देते रहेंगे।