जीवामृत: कुदरती खेती का आधार

जीवामृत Jeevamrit

किसान ऋषि कृषि करके अपने सारे खर्च को बहुत ही कम या बिलकुल खत्म भी कर सकता है। आइये जानते हैं ऋषि कृषि, कुदरती खेती या प्राकृतिक कृषि या ज़ीरो बजट खेती क्या है? हमारे किसान भाई इसको अपना कर कैसे लाभ उठा सकते हैं।

ऋषि कृषि के मुख्य सिद्धान्त के बारे मे आपने हमारी पिछली पोस्ट मे पढा होगा। अगर किसी कारण से नहीं पढ़ पाये तो आप यंहा क्लिक करके पढ़ सकते हैं। आज इस लेख मे हम आपको जीवामृत बनाने की विधि बतायंगे जिसके द्वारा हमारे किसान भाई घर मे ही खाद तैयार कर सकेंगे और उन्हे बाज़ार में पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे।

jevamrit ghol
jeevamrit ghol for agriculture fertility by Sahi Kheti

जैसा कि आप जानते ही हैं कि हमारे ऋषि कुदरती चीजों का प्रयोग करके ही उत्तम गुणवत्ता के अनाज एवं फलों का उत्पादन किया करते थे। ऋषि लोग जिस पोशक घोल का प्रयोग करते थे उसे ही आज कल लोग जीवामृत के नाम से जानते हैं।

जीवामृत निर्माण सामग्री Jeevamrit Nirman Samgri 

क्रम संख्या सामग्री मात्रा
1 देशी गाय का गोबर 10 किलो ग्राम
2 देशी गाय का मूत्र 5-10 लीटर
3 पानी 200 लीटर
4 किसी भी दाल का बेसन 1-2 किलो ग्राम
5 गुड 1-2 किलो ग्राम
6 पुराने पेड के नीचे कि मिट्टी 1 किलो ग्राम

ऊपर लिखी हुई सारी सामग्री हर किसान के घर मे उपलब्ध होती है। इसलिए उसे बाज़ार मे पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। खेती के लिए सभी पोशक तत्वों का प्रबंध हो जाएगा।

जीवामृत बनाने की विधि  Jeevamrit Banane ki Vidhi

ऊपर लिखी सारी सामग्री को एक बड़े से प्लास्टिक के ड्राम मे डालकर लकड़ी के एक डंडे से घड़ी की सुइयों की दिशा मे घोलना है। जब आपको लगे कि सब तत्व सही मिल गए हैं तो इसको बोरी से ढक कर रखना है। ये ध्यान रखे कि इस ड्राम को छाया मे ही रखे सीधे धूप के संपर्क मे नहीं होना चाहिए। तीन दिन मे ही यह घोल उपयोग योग्य हो जाएगा। लेकिन तीन दिन तक सुबह शाम इस घोल को उपरोक्त विधि अनुसार दो बार लकड़ी के डंडे से दो मिनट तक घोलना है। इस प्रक्रिया मे घोल के सड़ने से अमोनिया,कार्बनमोनोक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों का निर्माण होता है।

jeevamrit banana
jeevamrit banane ki vidhi by Sahi Kheti

जीवामृत छानने का तरीका  Jeevamrit Chhanne ka Tarika

जीवामृत बनाना बहुत ही आसान है। लेकिन यदि आप इस घोल को बनाने के बाद स्प्रे के रूप मे प्रयोग करना चाहते हो तो आपको इसे छानने की विधि समझनी पड़ेगी। सबसे पहले एक बड़ा सा नल वाला जार लीजिये। उसमें सबसे पहली परत बड़े पत्थर की लगाए। उसके ऊपर छोटे पत्थर की परत बिछाये। फिर आपको रेत की परत बिछानी है। उसके ऊपर प्लास्टिक की जाली लगानी है और सबसे ऊपर कपड़ा बिछाना है। ये आपका जीवामृत छानने का यंत्र तैयार है। अब इसमे जीवामृत का तैयार घोल डाल दो। जो भी फ़िल्टर हो के निकलेगा उसे हम स्प्रे के लिए प्रयोग कर सकते हैं ।

jeevamrit
jeevamrit filteration for spray by Sahi Kheti

उपयोग का समय  upyog ka Samay

जीवामृत बनने के बाद सात दिन तक कभी भी उपयोग मे ला सकते हैं। सात दिन बाद बचे हुए जीवामृत को पानी के साथ उपयोग मे नहीं लाना चाहिए।

जीवामृत का प्रयोग  Jeevamrit ka Pryog

इस तरह से तैयार जीवामृत को महीने मे एक या दो बार उपलब्धता के अनुसार 200 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से सिंचाई के पानी मे मिला कर देना चाहिए। ऐसा करने से खेती मे चमत्कार के रूप मे बदवार होगी। और बंजर जमीन पर भी फसल लहलहा उठेगी।

फसलों पर जीवामृत का छिड़काव Faslon par Chhidkav

सभी फसलों जैसे कि गन्ना,केला,गेंहू,मक्का,ज्वार बाजरा,अरहर,मूंग,उड़द चना, सूरजमुखी,कपास,अलसी,प्याज, मिर्च,सरसों, अलसी,हल्दी,अदरक,बैंगन,टमाटर,आलू,लहसुन,हरी सब्जियाँ, फूल,औषधीय पौधे,एवं सुगंधित पौधे आदि सभी पर 2 से लेकर 8 महीने तक जीवामृत का एक से लेकर तीन बार प्रति महीने छिड़काव करें।

खड़ी फसल पर जीवामृत का छिड़काव:-

60 से 90 दिन की फसलों पर छिड़काव

पहला छिड़काव

किसान भाई बीज बुआई के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 100 लीटर पानी और 5 लीटर जीवामृत (कपड़े से छाना हुआ) मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़काव

आप पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत को मिला कर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़काव

दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिला कर छिड़काव करें।

90 से 120 दिन कि फसलों पर छिड़काव

पहला छिड़काव

बीज बुआई के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 100 लीटर पानी और 50 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़काव

पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 10 लीटर छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़काव

दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत को मिला कर छिड़काव करें।

चौथा और आखिरी छिड़काव

यदि फसल के दाने दूध की अवस्था मे या फल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या 2 लीटर नारियल का पानी मिलाकर छिड़काव करें।

120 से 150 दिन की फसलें

पहला छिड़काव

बीज बुआई के एक माह बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़काव

पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 10 लीटर छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़काव

दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिला कर छिड़ काव करें।

चौथा छिड़काव

तीसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी 20 लीटर जीवामृत मे मिलाकर छिड़काव करें।

पांचवा छिड़काव

चौथे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी 20 लीटर जीवामृत मे मिलाकर छिड़काव करें।

छ्टा और आखरी छिड़काव

किसान जाँचे यदि फसल के दाने दूध की अवस्था मे या फल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या 2 लीटर नारियल का पानी मिलाकर छिड़काव करें। इस से फसलों पर कीट का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

गन्ना, केला, पपीता की फसल पर जीवामृत का छिड़काव Ganna, Kela, Papita ki Fasal Par Jeevamrit ka Chhidkav

इन फसलों पर बोने या रोपाई के पाँच महीने तक ऊपर दी गई विधि के अनुसार छिड़काव करें। उसके बाद हर 15 दिन मे प्रति एकड़ 20 लीटर जीवामृत कपड़े से छानकर 200 लीटर पानी मे घोल बनाकर गन्ना,केला या पपीते के पौधे पर छिड़काव करें।

men spraying jeevamrit in field
jeevamrit spray by Sahi Kheti

 

सभी फलदार पौधों पर जीवामृत का छिड़काव Sabhi Faldar Paudhon par Jeevamrit ka Chhidkav

आप सभी किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फलदार पौधों पर महीने मे दो बार जीवामृत का छिड़काव करें चाहे पौधे कि उम्र या आकार कोई भी हो। पौधे के आकार और विस्तार के हिसाब से 20 से 30 लीटर जीवामृत कपड़े से छानकर 200 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। फल पकने से 2 महीने पहले फलदार पौधों पर 2 लीटर नारियल का पानी और 200 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके 15 दिन बाद 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिलाकर छिड़काव करें। ऐसा करने से फलों मे कोई कीड़ा नहीं लगेगा। जिससे आपकी फसल के उत्पादन और लाभ दोनों मे वृद्धि होगी।

निष्कर्ष Conclusion

जीवामृत के प्रयोग से किसान अपनी खेती की लागत ज़ीरो तक ला सकते हैं। जीवामृत कुदरती खेती का आधार बना कर हम भारतीय कृषि को नया आयाम दे सकते हैं। जीवामृत से फसलों का ना केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि गुणवत्ता भी इतनी अधिक अच्छी होती है कि उसमे कोई बीमारी आती ही नहीं है।

आप सभी से आशा की जाती है कि आप इस पोस्ट को दूसरे किसानों को जरूर शेयर करेंगे। ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल सके। सभी किसान ज़ीरो बजट खेती करने मे सक्षम बने।

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About Sanjay Kaushik

मैं संजय कौशिक एक किसान, MBA इन मार्केटिंग, M.A. लोक प्रशासन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर चुका हूँ। ओर मैं पिछले 14 सालों से शिक्षण और प्रशिक्षण के कार्य मे लगा हुआ हूँ। अब मैं डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके आप सभी तक अपनी मातृभाषा में सही खेती के मंत्र पंहुचाने का प्रयास कर रहा हूँ। उम्मीद है कि आप सभी सहयोग करेंगे!
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