क्या कारण है की आज इतने महंगे-महंगे फर्टीलिज़ेर्स,पेस्टिसाइड्स , ग्रोथ बूस्टर डालने के बाद भी खेती में बचत नहीं हो पा रही है? आप सोच सकते हैं की पहले ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता था। लेकिन फिर भी किसान ज्यादा खुशहाल था। आज इतना कुछ करने के बाद भी किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। आज हम आप को बताएँगे ऋषि कृषि के बारे में जिसका वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथो में मिलता है।
ऋषि कृषि का फायदा Rishi Krishi ka Fayda
ऋषि कृषि माने कुदरती खेती बोल-चाल की भाषा में बिना जुताई वाली खेती भी कहा जाता है।
ऋषि कृषि में खेती से अनाज लेने के बाद जो खेती के अवशेष बचते हैं उन्हें जलाया नहीं जाता बल्कि उन्हें आच्छादन करके छोड़ देते हैं। जो वक्त के साथ साथ पोषक तत्वों का भंडार बन जाते हैं जिन इलाकों में सूखे के कारण खेती होना बंद हो गई थी। वहां पर भी ऋषि कृषि विधि से बंपर उत्पादन किया जा रहा है और इस खेती से जो उत्पाद मिलते हैं वह गुणवत्ता में भी बहुत पौष्टिक और ताकत से भरपूर होते हैं। यहां तक कि इन उत्पादों में कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है ऋषि कृषि का एक लाभ यह भी है कि किसान अगर अपने दिन के सिर्फ 2 घंटे इस काम में लगाएं तो पैदावार भरपूर ले सकते हैं
आधुनिक कृषि के नुकसान Adhunik Krishi ke Nuksan
चलिए अब हम बात कर लेते हैं कि आखिर जुताई वाली खेती से क्या नुकसान होते हैं ऋषि कृषि के विशेषज्ञों का मानना है कि खेतों की जुताई कर दी जाए तो इसकी आधी ताकत उसी वक्त नष्ट हो जाती है इसमें मौजूद सहायक जीव गहरी जुताई के कारण मर जाते हैं बहुत से पोषक तत्व तेज गर्मी और हवा के कारण उड़ जाते हैं जिससे पर्यावरण का भी नुकसान हो रहा है और रही सही कसर वर्षा का पानी कर देता है जब यह उपजाऊ मिट्टी को पानी के साथ बहा कर ले जाती है
अध्यात्मिक दृष्टिकोण Adhyatmik Drishtikon
मध्यप्रदेश में एक ऋषि इस तरह की कृषि किया करते थे उनकी मृत्यु के बाद, उनका मंदिर बनाया गया था आज भी इस मंदिर में ऐसे उत्पादों का भोग लगाया जाता है जो बिना जुताई के उगाए गए हो क्योंकि जुताई करने से मिट्टी में मौजूद अनेक जीव मर जाते हैं इसीलिए इसे हिंसक ही माना गया है।
आज इस बिना जुताई वाली खेती की दुनिया भर में होड़ मची हुई है और अमेरिका जैसे देश ने तो इसे हाथों हाथ लिया है और यह बड़े पैमाने पर बिना जुताई वाली खेती की जा रही है।
जैविक कृषि Jaivik Kheti
जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रकृति के मूल स्वरूप को बिना हानि पहुंचाए रसायनिक उर्वरकों का कम से कम प्रयोग करते हुए खेती की लागत को कम बनाकर किसान को उचित लाभ दिलाना है इस विधि में खरपतवार आदि के नाश के लिए थोड़ा बहुत रसायनों का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन धीरे धीरे इन रसायनों का प्रयोग भी बिल्कुल बंद करना सुनिश्चित करना होता है या फिर हमें वैकल्पिक खेती की तरफ जाना पड़ेगा।
निष्कर्ष Conclusion
आप देख सकते हैं कि जो फल या अनाज गहन जंगल से प्राप्त होता है उसकी गुणवत्ता हमारे द्वारा उगाए गए अनाज से कई गुना ज्यादा अच्छी होती है ऋषि कृषि के अनुसार ही आज की समस्याओं का समाधान हो सकता है जिसके द्वारा हम खेती के भारी भरकम खर्च से बच सकते हैं और खेती किसानी भी एक लाभ का विषय बन सकता है जिस में किसान को किसी भी प्रकार की लागत लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती । ऋषि कृषि से संबंधित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट कर के हमें जरूर बताएं।